फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज की इनकम टैक्स गणना

फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) एक लोकप्रिय निवेश विकल्प है जो ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लैटफॉर्म जैसे अन्य विकल्पों के जो एक निश्चित अवधि के बाद एक निश्चित ब्याज दर पर सुरक्षित रिटर्न प्रदान करता है। हालाँकि, इस पर मिलने वाले ब्याज पर इनकम टैक्स देना होता है, जिसे कई लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं या नहीं समझ पाते हैं। इस लेख में हम फ़िक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज की इनकम टैक्स गणना कैसे करें, इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे। 

फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज पर इनकम टैक्स: एक परिचय

फिक्स्ड डिपॉजिट पर अर्जित ब्याज को अन्य स्रोतों से आय के अंतर्गत माना जाता है, और उस पर इनकम टैक्स लगाया जाता है। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत FD से मिलने वाला ब्याज टैक्सेबल होता है, और यदि किसी व्यक्ति की कुल ब्याज आय एक विशेष सीमा से अधिक हो जाती है, तो उस पर टैक्स चुकाना अनिवार्य हो जाता है।

टैक्सेबल लिमिट का निर्धारण कैसे होता है?

अधिकांश बैंकों द्वारा जब भी किसी ग्राहक का ब्याज ₹40,000 से अधिक हो जाता है, तो उस पर टैक्स (TDS) काटा जाता है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा ₹50,000 तक होती है। यदि आपकी ब्याज आय इससे अधिक नहीं है, तो आपको TDS नहीं कटेगा, लेकिन यह राशि भी आपकी टैक्सेबल इनकम में जोड़ दी जाएगी।

फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज की गणना कैसे होती है?

फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज की गणना करने के लिए बैंक द्वारा प्रदान की गई ब्याज दर, निवेश की गई राशि, और समय अवधि का ध्यान रखा जाता है। 

फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज की गणना का फार्मूला

ब्याज की गणना के लिए सामान्यतया निम्नलिखित फार्मूला का उपयोग किया जाता है:

ब्याज = मुख्य राशि x (ब्याज दर/100) x समय अवधि (सालों में)

उदाहरण के लिए ब्याज की गणना

यदि आप ₹1,00,000 की राशि 5% वार्षिक ब्याज दर पर 3 साल के लिए निवेश करते हैं, तो ब्याज की गणना इस प्रकार होगी:

ब्याज = 1,00,000 x (5/100) x 3 (सालों में) = ₹15,000

यह ₹15,000 ब्याज इनकम टैक्स के दायरे में आएगा, और आपको इस पर टैक्स का भुगतान करना होगा।

फिक्स्ड डिपॉजिट पर TDS की गणना

यदि आपकी ब्याज आय ₹40,000 (वरिष्ठ नागरिकों के लिए ₹50,000) से अधिक होती है, तो बैंक 10% की दर से TDS काटता है। उदाहरण के लिए, यदि ब्याज ₹15,000 है और यह ₹40,000 की सीमा के अंदर है, तो बैंक TDS नहीं काटेगा। हालाँकि, यदि यह ₹50,000 है, तो बैंक 10% यानी ₹5,000 TDS काटेगा।

यदि किसी के पास पैन कार्ड नहीं है, तो TDS की दर 20% हो जाती है, जो आपके इनकम टैक्स लायबिलिटी को बढ़ा सकता है।

फॉर्म 15G और 15H का उपयोग कब और कैसे करें?

यदि आपकी कुल वार्षिक आय टैक्सेबल सीमा से कम है, तो आप बैंक को फॉर्म 15G (गैर वरिष्ठ नागरिकों के लिए) या फॉर्म 15H (वरिष्ठ नागरिकों के लिए) प्रस्तुत कर सकते हैं। यह फॉर्म भरने पर बैंक आपका TDS नहीं काटेगा, लेकिन यह जरूरी है कि आपकी कुल आय इनकम टैक्स की निर्धारित सीमा के अंतर्गत ही हो। 

इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में ब्याज आय का उल्लेख कैसे करें?

फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज को “अन्य स्रोतों से आय” में गिना जाता है, ठीक वैसे ही जैसे ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लैटफॉर्म से होने वाली आय। इसके लिए आप निम्नलिखित चरणों का पालन कर सकते हैं:

1. ITR-1 फॉर्म चुनें: यदि आपकी आय वेतन, एक घर की संपत्ति, और अन्य स्रोतों (FD ब्याज सहित) से है, तो आप ITR-1 फॉर्म भर सकते हैं।

2. ब्याज की राशि जोड़ें: आपके FD से प्राप्त कुल ब्याज को ‘अन्य स्रोतों से आय’ के अंतर्गत जोड़ें।

3. TDS की जानकारी भरें: यदि बैंक ने आपका TDS काटा है, तो फॉर्म में इस TDS का विवरण भी भरें। 

फिक्स्ड डिपॉज़िट के ब्याज पर टैक्स देयता कम करने के टिप्स

फिक्स्ड डिपॉजिट पर टैक्स से बचने के लिए आप निम्नलिखित विकल्प अपना सकते हैं:

1. टैक्स सेविंग FD का चयन करें: कुछ बैंक टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट की सुविधा भी देते हैं, जिनमें 5 साल की लॉक-इन अवधि होती है। इस प्रकार की FD पर आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की कटौती का लाभ लिया जा सकता है। 

2. विभाजन करना: यदि आपकी ब्याज आय बहुत अधिक है, तो आप अपने FD को विभिन्न बैंकों में वितरित कर सकते हैं, ताकि हर बैंक में TDS की सीमा के अंतर्गत ब्याज आय रह सके।

3. सभी FD को एक वर्ष में मेच्योर न होने दें: आप अपने FD की अवधि इस प्रकार निर्धारित कर सकते हैं कि वे विभिन्न वर्षों में मेच्योर हों। इससे आपके ऊपर टैक्स का बोझ भी थोड़ा कम रहेगा।

निष्कर्ष

फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करना जहां एक सुरक्षित और लाभदायक विकल्प है, वहीं इस पर मिलने वाले ब्याज पर इनकम टैक्स की भी गणना करनी होती है। टैक्स सेविंग के विभिन्न उपायों का उपयोग करके आप अपने टैक्स का बोझ कम कर सकते हैं। फॉर्म 15G/15H भरने और टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट का विकल्प चुनकर टैक्स से जुड़े लाभ उठा सकते हैं। अपने FD से जुड़ी सभी जानकारी सही समय पर अपडेट रखें ताकि इनकम टैक्स के प्रावधानों के अनुसार आप अपनी टैक्स देनदारी का सही से निपटारा कर सकें।

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम मनोज कुमार है, मैं इस ब्लॉग का लेखक और संस्थापक हूं और इस वेबसाइट के माध्यम से "पैसे कैसे कमाए" से संबंधित सभी जानकारी साझा करता हूं जिसमें "ऑनलाइन, ऑफलाइन पैसे कमाने के साथ पैसे कमाने वाले ऐप" आदि शामिल है।

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